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करनाल में BJP नेताओं का विरोध कर रहे थे किसान, पुलिस ने बरसाईं लाठियां, कई के सिर फूटे

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नई दिल्ली
13 अप्रैल 1919, (जलियांवाला बाग हत्याकांड)। हिंदुस्तान के लिए महज ये तारीख नहीं जो 24 घंटे में बदल जाए। ये दिन था बलिदान का। ये दिन आगाज भी था जंग ए आजादी का। ये दिन था जब ये तय हो चुका था कि अब बस बहुत हुआ। ब्रिटिश हुकूमत अब हिंदुस्तान में सांस लेने वाला बच्चा-बच्चा आजाद फिजा में सांस लेगा और तुम लोगों को यहां से जाना होगा। ये तारीख हमारे सीने में आज भी खंजर की तरह धंसी हुई है। जब भी इस खंजर पर हाथ जाता है तो पीड़ा से पूरा शरीर कांप उठता है।

क्यों याद आया जलियांवाला बाग हत्याकांड
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के बाद से उठी चिंगारी देखते ही देखते मशाल बन गई थी। इतिहास की परतों को कुरदें तो ये दिल बैठ जाता है। इस हत्याकांड में निहत्थे लोगों पर 1,650 राउंड फायरिंग हुई, जिसमें 379 लोगों की मौत हुई। वैसे ये तो ब्रिटिश सरकार का सरकारी आंकड़ा है, लेकिन कई लोगों को मानना है कि इसमें 1000 से ज्यादा लोगों को जान गई थी। आज हम इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं। ये सवाल लाजमी है। ये महज संयोग है कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग स्‍मारक के पुनर्निमित परिसर का वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया और उसी वक्त बीजेपी नेताओं का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों पर पुलिस की लाठियां बरस रहीं थीं।

सिर फोड़ने का आदेश देते ड्यूटी मैजिस्ट्रेट साहब
सोशल मीडिया में एक वीडियो क्लिप वायरल हुई। इसमें ड्यूटी मैजिस्ट्रेट पुलिसकर्मियों को निर्देश देते हुए नजर आ रहे हैं कि जो भी नाका लांघे उसका सिर फोड़ देना। मैजिस्ट्रेट साहब कहते हुए नजर आ रहे हैं कि मैं लिख के दे रहा हूं। किसी को छोड़ना मत। पता नहीं ये डर था सीएम साहब के सामने नंबर बनाने महत्वाकांक्षा। अब मैजिस्ट्रेट साहब को ऐसा क्यों कहना पड़ा उसकी कहानी भी समझ लीजिए। हरियाणा के करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत बीजेपी के अन्य नेताओं की मीटिंग हो रही थी। इस दौरान करनाल की सीमाओं को सील कर दिया गया था। इस बीच किसान प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ने लगे। बस सीएम साहब को विरोध का सामना न करना पड़े इसलिए ये आदेश जारी किया गया।

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कांग्रेस ने लगाया जनरल डायर जैसे व्यवहार का आरोप
कांग्रेस ने इस मामले में कहा है कि देश और हरियाणा के किसानों से भाजपा-जजपा सरकार जनरल डायर जैसा व्यवहार कर रही है। पहले मोदी-खट्टर सरकारों ने तीन काले कानूनों से खेती का खून किया, अब भाजपा-जजपा सरकार किसानों का खून बहा रही है। इस वीडियो को लेकर बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट किया, ‘मुझे उम्मीद है कि यह वीडियो एडिटेड होगा और डीएम ने ऐसा नहीं कहा होगा। अन्यथा यह स्वीकार्य नहीं है कि लोकतांत्रिक देश में हम हमारे ही नागरिकों के साथ ऐसा बर्ताव किया जाए।’

वरुण गांधी ने भी की निंदा
सिर्फ वरुण गांधी नहीं बल्कि अन्य नेताओं ने भी इस घटना को लेकर ट्वीट किया है। उधर, दीपेंदर सिंह हुड्डा ने ट्वीट किया, ‘करनाल में ड्यूटी मैजिस्ट्रेट ने पुलिस को सीधे आदेश दिए थे कि जो भी यहां से गुजरे, उसका सिर फोड़ देना है। नतीजा कि अनेक किसानों को गंभीर चोटें आईं। बीजेपी-जेजेपी सरकार क्रूरता की सारी हदें पार कर चुकी हैं। क्या ऐसा बर्ताव कोई सरकार अपने ही देशवासियों से कर सकती है।’

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क्या सोच रहे होंगे वो लोग…
जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अगर लहू बहाते हुए किसानों की इन तस्वीरों को देखते तो उनको बेहद पीड़ा होती। पीड़ा होती उन हजारों क्रांतिकारियों को जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद कराने के लिए हंसते-हंसते सूली पर चढ़ गए। क्या इसी दिन के लिए ये देश आजाद कराया गया था। जहां पर कोई अंग्रेजी हुकूमत का अधिकारी नहीं बल्कि अपने ही मुल्के के अधिकारियों ने सिर फोड़ने का आदेश दे दिया।

सीएम खट्टर को पेश करनी होगी मिसाल
हरियाणा की खट्टर सरकार को ऐसे पुलिसकर्मियों और मैजिस्ट्रेट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर एक नजीर पेश करनी चाहिए। लोकतंत्र की खूबसूरती ही विरोध है। विरोध चाहे सड़क पर हो या संसद में जितना विरोध होगा उतना लोकतंत्र मजबूत होता है। खुद पीएम मोदी संसद में कई बार इस बात को बोलते हैं। फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री को विरोध अखरता है। किस बात का डर था जो किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। किसानों का बहता खून हरियाणा में कहानी बदल सकता है।



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