केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के मामले में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया। राणे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री हैं। जुलाई में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट से जुड़े थे। राज्य सरकार का किसी केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार करने का यह दिलचस्प मामला है। राणे 20 साल में पहले केंद्रीय मंत्री हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। इस बीच एक बहस भी शुरू हो गई है। वह यह है कि क्या राज्य सरकार केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार कर कर सकती है।
पूर्व भारतीय सांख्यिकी सेवा अधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है। देश में रहने वाले सभी नागरिक नियम और कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत नियमों का उल्लंघन करने पर राज्य एजेंसी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज, गर्वनर, राष्ट्रपति, चुनाव आयुक्त, यूपीएससी के चेयनमैन जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला शुरू नहीं किया जा सकता है। मंत्री इस विशेषाधिकार श्रेणी में नहीं आते हैं। इनकी गिरफ्तारी होने पर संवैधानिक प्रावधानों का हनन नहीं होता है।
हर सांसद के कुछ अधिकार होते हैं। उन अधिकारों का हनन हुआ है। लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को इस मामले में हमारे सभी सांसद याचिका सौंपेंगे।
महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल
कैसे-क्या हुआ?
नासिक के पुलिस आयुक्त दीपक पांडे ने आपत्तिजनक बयान देने के मामले में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की तत्काल गिरफ्तारी के आदेश जारी किए थे। पुलिस के एक दल को कोंकण शहर के चिपलून रवाना कर दिया गया था। जन आशीर्वाद यात्रा के सिलसिले में राणे अभी वहीं मौजूद हैं। राणे के खिलाफ महाराष्ट्र के उत्तरी शहर में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद यह आदेश जारी किया गया था।
राणे ने क्या कहा था?
राणे ने दावा किया था कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में ठाकरे यह भूल गए कि देश की आजादी को कितने साल हुए हैं। इसी संदर्भ में मंत्री ने विवादित बयान दिया। राणे ने रायगढ़ जिले में सोमवार को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान कहा, ‘यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हो गए हैं। भाषण के दौरान वह पीछे मुड़कर इस बारे में पूछते नजर आए थे। अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता।’
बाम्बे हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत
गिरफ्तारी से बचने के लिए अंतिम समय में नारायण राणे ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसमें उनके खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर को खारिज करने की गुहार लगाई गई। लेकिन, कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। राणे के वकील ने कोर्ट में दलील दी, ‘पुलिस उन्हें (नारायण राणे) गिरफ्तार करने के लिए दरवाजे पर खड़ी है।’ इस पर हाईकोर्ट ने कहा, ‘कृपया प्रोसीजर फॉलो करें। हमें रजिस्ट्री का काम करने के लिए नहीं सौंपें।’
शिवसेना से शुरू किया करियर
69 वर्षीय राणे ने उद्धव ठाकरे के पिता बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। उन्होंने 1990 में शिवसेना विधायक के रूप में महाराष्ट्र विधानसभा में प्रवेश किया। उन्होंने 1999 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला, लेकिन उनका कार्यकाल बहुत छोटा था। शिवसेना-भाजपा गठबंधन उसी वर्ष के अंत में राज्य का चुनाव हार गए थे।