हाइलाइट्स
- भारत में तालिबान के हमदर्द जाने-अनजाने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को दे रहे हैं हवा
- सोशल मीडिया पर कई लोग तालिबान का समर्थन करते दिख रहे, कुछ बड़े नाम भी तालिबान के मुरीद
- शायर मुनव्वर राणा और सपा सांसद शफीकुर रहमान बर्क जैसे लोग कर रहे तालिबान का महिमामंडन
- बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में, अगले साल की शुरुआत में हैं यूपी समेत 5 राज्यों में चुनाव
अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने से वहां खौफ और अफरातफरी का आलम है। हजारों लोग घर-बार और जिंदगीभर की कमाई पीछे छोड़ किसी भी कीमत पर वहां से निकलने को बेताब हैं। लेकिन यहां भारत में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें तालिबान पर बहुत प्यार आ रहा है। बात सिर्फ सोशल मीडिया के कुछ यूजर्स तक नहीं है, मशहूर शायर मुनव्वर राणा और सांसद शफीकुर रहमान बर्क जैसी हस्तियां भी तालिबान को ‘हीरो’ बताने में जुटी हैं। इन सब बातों का भारत की राजनीति पर भी असर पड़ना तय है।
तालिबान के महिमामंडन से तैयार हो रही ध्रुवीकरण की जमीन!
तालिबान के महिमामंडन के जरिए मजहबी कट्टरता का इस तरह समर्थन ध्रुवीकरण को जन्म देगा खासकर तब जब अगले साल की शुरुआत में ही यूपी समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। सोशल मीडिया पर कई ऐसे यूजर्स देखे जा सकते हैं जो तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। इसके जवाब में एक ऐसा भी धड़ा है जो तालिबान के बहाने एक वर्ग विशेष के प्रति जहर उगल रहा है। इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की जमीन तैयार होती दिख रही है।
चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में बीजेपी
बात सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है, मुनव्वर और बर्क जैसे लोग जब खुलकर तालिबान का समर्थन और उनकी तुलना भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों से कर रहे हैं तो ध्रुवीकरण की जमीन को और उर्बर बनाने का काम कर रहे हैं। अगर चुनावों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण होगा तो सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही होगा। लिहाजा बीजेपी भी इसे मुद्दा बनाने में पीछे नहीं रही।
सदन में सीएम योगी बोले- कुछ लोग दुर्दांत तालिबान का समर्थन कर रहे हैं
योगी आदित्यनाथ ने शुरुआत भी कर दी
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को विधानपरिषद में विपक्षी समाजवादी पार्टी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोग बेशर्मी के साथ तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आप तो तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। अध्यक्ष जी, तालिबान का कुछ लोग समर्थन कर रहे हैं। महिलाओं के साथ वहां पर क्या क्रूरता बरती जा रही है। बच्चों के साथ अफगानिस्तान में क्या क्रूरता बरती जा रही है लेकिन कुछ लोग बेशर्मी के साथ तालिबान का समर्थन किये जा रहे हैं। तालिबानीकरण करना चाहते हैं, इन सभी के चेहरे समाज के सामने बेनकाब हो गए हैं।’ यह तो महज शुरुआत है, इसमें यह संकेत छिपा है कि बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा बनाएगी।
मुनव्वर राणा का ‘तालिबान प्रेम’
शायर मुनव्वर राणा आजकल अपनी शायरी नहीं, ऊटपटांग बयानों की वजह से ज्यादा चर्चा में रहते हैं। नवभारत टाइम्स से बातचीत में उन्होंने खुलकर तालिबान का समर्थन करते हुए पूछा था कि उन्होंने अपना मुल्क ‘आजाद’ करा लिया है तो दिक्कत क्या है। उन्हें तो तालिबान को आतंकी कहे जाने से भी ऐतराज है। कहते हैं कि उन्हें आतंकी नहीं कह सकते हैं, हां अग्रेसिव कहा जा सकता है। एक न्यूज चैनल से बातचीत में तो राणा ने तालिबान की तुलना महर्ष वाल्मीकि से कर दी। कहा कि तालिबान उतने ही आतंकी है जितने रामायण लिखने वाले वाल्मीकि। मुनव्वर राणा इस तरह जाने-अनजाने में बीजेपी को ही सियासी फायदा पहुंचाते दिख रहे हैं।
एसपी सांसद को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ दिखते हैं तालिबान
यूपी के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने तो एक तरह से तालिबान की तुलना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों से कर दी। इसे लेकर उनके खिलाफ राजद्रोह का केस भी दर्ज हो चुका है। हालांकि, अब वह सफाई में यह कह रहे हैं कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया लेकिन अब उनके बेटे तालिबान को मुबारकबाद दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर सपा सांसद के बेटे मलुकर्रहमान बर्क का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह तालिबान को मुबाकरबाद देते नजर आ रहे हैं।
कभी वंदे मातरम का विरोध, कभी तालिबान का समर्थन…समाजवादी पार्टी के सांसद पर UP में राजद्रोह का केस
बीजेपी की तरफ से भी बयानबाजी
तालिबान से ‘हमदर्दी’ वाले बयानों पर बीजेपी की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो ऐसे लोगों को निशाने पर लिया है, बीजेपी के अन्य नेता भी पीछे नहीं हैं। बिहार के बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा है कि जिन्हें भारत में डर लगता है वे अफगानिस्तान चले जाएं, वहां पेट्रोल-डीजल भी सस्ता मिलेगा।
ध्रुवीकरण हुआ तो पीछे छूट जाएंगे सभी असल मुद्दे
इस तरह की बयानबाजियां ध्रुवीकरण को ही हवा देंगी। चुनावों में ध्रुवीकरण का मतलब है सारे असल मुद्दों का पीछे छूट जाना। अगर विपक्ष तालिबान का समर्थन करने वाले तत्वों से दूरी नहीं बनाता है तो उनके लिए राह मुश्किल हो सकती है।
काबुल की सड़कों पर घूमते तालिबान लड़ाके