पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा कि उसने जो हलफनामा दायर किया है वह पर्याप्त है। ये मामला नैशनल सिक्यॉरिटी से जुड़ा हुआ है और मामले में हलफनामे में तथ्यों का खुलासा नहीं किया जा सकता।
केंद्र ने कहा-जो हलफनामा दिया वह पर्याप्त
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच के सामने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हम नैशनल सिक्यॉरिटी से जुड़े तथ्यों का खुलासा करने को नहीं कह रहे हैं बल्कि हम ये जानना चाहते हैं कि पेगासस का इस्तेमाल सरकार ने सर्विलांस के लिए किया है या नहीं? केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दायर किया है उसमें वह जवाब देने से बच रही है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह मामले में डिटेल हलफनामा दायर करना चाहता है? केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जो हलफनामा पेश किया गया है वह पर्याप्त है। इस मामले में किसी अतिरिक्त हलफनामे की जरूरत नहीं है।
केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताया
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सरकार हलफनामे में इस बात का खुलासा कर देगी कि वह कौन से सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है और कौन सा नहीं, तो आतंकी गतिविधियों में शामिल लोग उससे बचने का तोड़ निकाल लेंगे। ऐसे में इस मामले को पब्लिक डिबेट में नहीं लाया जा सकता है। ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
आतंकी संगठन अपने उपकरण और मॉड्यूल बदल देगा अगर उसे जानकारी मिल गई
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहते हैं कि सरकार बताए कि किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं होता है और किसका होता है। फर्ज किया जाए कि अगर ये बात झूूठे तौर पर फैला दी जाए कि मिलिट्री उपकरण का इस्तेमाल अवैध तरीके से हो रहा है और इस बारे में पिटिशन दाखिल कर दी जाए तो क्या मिलिट्री उपकरण के इस्तेमाल की जानकारी के बारे में जवाब मांगा जा सकता है? सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर कोई आतंकी संगठन का स्लीपर सेल किसी डिवाइस का इस्तेमाल करता है और सरकार कहे कि वह किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सर्विलांस के लिए करती है तो वह आतंकी संगठन अपने उपकरण को चेंज कर देगा या उसके मॉड्यूल को बदल देगा।
अगर सरकार ये बता दे कि पेगासस का इस्तेमाल होता है या नहीं, तो इससे आतंकियो की मदद हो जाएगी क्योंकि वह इसका तोड़ निकाल लेंंगे। इस पर सिब्बल ने कहा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारी को उजागर नहीं करने को कह रहे हैं। हम केवल ये जानाना चाहते हैं कि क्या सरकार ने पेगासस के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। क्या सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल किया था या नहीं ?
हलफनामा देने में परेशानी क्या है: सुप्रीम कोर्ट
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम कोर्ट से कुछ छिपाना नहीं चाह रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जिस प्रस्तावित एक्सपर्ट कमिटी के गठन की बात कही गई है उस कमिटी के सामने सरकार पूरा ब्यौरा पेश कर देगी, लेकिन पब्लिक डिबेट के लिए नहीं दे सकती। हमारे पास छिपाने को कुछ भी नहीं ह,। लेकिन ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बतौर कोर्ट ये कभी नहीं चाहेंगे कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता हो। लेकिन यहां आरोप है कि कुछ लोगों के मोबाइल को हैक किया गया और सर्विलांस किया गया। ये भी कंपिटेंट अथॉरिटी की इजाजत से हो सकता है। इसमें क्या परेशानी है कि कंपिटेंट अथॉरिटी हमारे सामने इस बारे में हलफनामा पेश करे। कंपिटेंट अथॉरिटी नियम के तहत फैसला ले कि किस हद तक जानकारी पब्लिक हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि हम ऐसा नहीं चाहते कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारी पब्लिक करे।
‘एक्सपर्ट कमिटी की जरूरत है या नहीं ये हम देखेंगे’
चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि हम सोच रहे थे कि केंद्र सरकार का जवाब इस मामले में विस्तार से आएगा लेकिन जवाब लिमिटेड था। हम इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हैं। 10 दिनों बाद मामले की सुनवाई की जाएगी। हम इस दौरान देखेंगे और सोचेंगे कि क्या किया जा सकता है। क्या कोर्स ऑफ एक्शन हो या तय करेंंगे। क्या एक्सपर्ट कमिटी की जरूरत है या किसी और कमिटी की इस बारे में भी हम देखेंगे कि क्या करना है। हम केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हैं।
Pegasus Case: पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब