Crime News India


नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी समुदाय) से जुड़ा एक अहम विधेयक पेश किया। सरकार ने 127वें संविधान संशोधन विधेयक को पेश किया है। इस विधेयक में राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देने का प्रावधान है। हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि क्या है यह बिल, क्यों इसे लाने की जरूरत पड़ी और आगे इसका क्या असर होगा…

बिल में क्या है प्रावधान?

केंद्र सरकार जो संशोधन विधेयक लेकर आई है, उसमें प्रावधान है कि राज्य सरकारें अब अपने यहां ओबीसी की लिस्ट तैयार कर सकेंगी। यानी अब राज्यों को किसी जाति को ओबीसी में शामिल करने के लिए केंद्र पर निर्भर नहीं रहना होगा। इसका मतलब है कि अब राज्य सरकारें अपने यहां किसी जाति को ओबीसी समुदाय में शामिल कर पाएगी।

क्यों पड़ी संशोधन की जरूरत?
दरअसल इसी साल 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी जाति को ओबीसी में शामिल करने का अधिकार केंद्र के पास है, राज्यों के पास नहीं। केंद्र ने इसी का हवाला देते हुए महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को दिए आरक्षण को रद्द कर दिया है। हालांकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में आपत्ति जताई थी और मामले पर पुनर्विचार की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

वोट दा मामला है! ना-ना करते आज OBC बिल पर मोदी सरकार को दिल क्यों दे बैठा विपक्ष?
विपक्ष का क्या है रुख?
इस बिल को पेश करने से पहले कांग्रेस समेत 15 प्रमुख विपक्षी दलों ने इस पर चर्चा की। आज हुई इस बैठक में फैसला हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीासी) से संबंधित संशोधन विधेयक को विपक्ष समर्थन देगा। हालांकि विपक्षा पार्टियों का कहना है कि उन्होंने पहले ही सरकार को मामले को लेकर आगाह किया था लेकिन सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, अब ओबीसी समुदाया को आंदोलन की वजह से सरकार यह संशोधन बिल लाने पर मजबूर हुई है।

जाति जनगणना पर नीतीश-आरजेडी के सुर हुए एक, केंद्र से कहा- फैसले पर दोबारा विचार करें, मोदी सरकार कर चुकी है इनकार
क्या होगा असर?
संसद से इस बिल के पास होने के बाद राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मर्जी से जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा। कई राज्यों में ओबीसी आरक्षण को लेकर अलग-अलग जातियां आंदोलन कर रही हैं। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय खुद को ओबीसी वर्ग में शामिल कर आरक्षण देने की मांग कर रहा है। ऐसे में अब राज्यों के पास अधिकार होगा कि वे विभिन्न जातियों को ओबीसी में शामिल कर पाएंगी। यानि ओबीसी आरक्षण को लेकर केंद्र ने अब गेंद राज्यों के पाले में डाल दी है।



Source link

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *