संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के तीसरे हफ्ते में राज्यसभा में आठ विधेयक पारित हुए। इसने सदन की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में मदद की। यह बढ़कर 24.2 फीसदी हो गई। राज्यसभा के अनुसंधान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले हफ्ते (सत्र के दूसरे हफ्ते) प्रोडक्टिविटी 13.70 फीसदी थी। वहीं, सत्र के पहले हफ्ते उच्च सदन की उत्पादकता सबसे अधिक 32.20 फीसदी रही थी। राज्यसभा के अधिकारी ने बताया कि मॉनसून सत्र के शुरुआती तीन सप्ताह में राज्यसभा की कुल प्रोडक्टिविटी 22.60 फीसदी रही।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सप्ताह 17 दलों के 68 सदस्यों ने विधेयकों को पारित करने से पहले चर्चा में हिस्सा लिया। विधेयकों पर हुई चर्चा में अन्नाद्रमुक, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजद), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), द्रमुक, जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), आरपीआई, शिवसेना, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा), टीएमसी (मूपनार), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने हिस्सा लिया।
नामांकित सदस्यों और इन 17 दलों के कुल सदस्यों की संख्या राज्यसभा के मौजदा संख्याबल का 87 फीसदी है। अधिकारियों ने रेखांकित किया कि पेगासस विवाद और किसानों के मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रही तृणमूल कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के सदस्यों की संख्या सदन के संख्याबल के लिहाज से छह फीसदी से भी कम है। उन्होंने बताया कि सदन ने तीन घंटे और 25 मिनट इन विधेयकों को पारित करने में लिया।
अधिकारियों ने बताया कि इस सप्ताह राज्यसभा की कार्रवाई के लिए निर्धारित कुल 28 घंटे 30 मिनट में एक घंटे 41 मिनट का समय प्रश्नकाल पर व्यय हुआ। इसमें 17 तारांकित सवाल पूछे गए। उन्होंने बताया कि इस हफ्ते हंगामे की वजह से 21 घंटे 36 मिनट का समय बर्बाद हुआ। आंकड़ों के मुताबिक, मॉनसून सत्र शुरू होने से अब तक कुल 78 घंटे 30 मिनट के समय में 60 घंटे 28 मिनट हंगामे की वजह से बर्बाद हुए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि बीते तीन सप्ताह के दौरान सदन में कुल 17 घंटे 44 मिनट काम हुआ है। इनमें से चार घंटे 49 मिनट सरकारी विधेयकों पर व्यय हुआ, तीन घंटे 19 मिनट प्रश्नकाल में व्यय हुए और चार घंटे 37 मिनट में कोविड-19 संबंधी मुद्दों पर संक्षिप्त चर्चा हुई।