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नई दिल्ली
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को साफ किया कि कोरोना के कुछ मामलों का भले ही पता न चल सका हो, लेकिन मौतों को दर्ज करने में चूकने की संभावना नहीं है क्योंकि भारत में मजबूत और कानून आधारित मृत्यु पंजीकरण व्यवस्था है।

मंत्रालय ने बयान में बताया कि दूसरी लहर के चरम स्थिति पर पहुंचने के दौरान देश भर में हेल्थ सिस्टम का फोकस मेडिकल हेल्प की जरूरत वाले मामलों के कारगर क्लीनिकल मैनेजमेंट पर था। इसकी वजह से कोविड से होने वाली मौतों की रिपोर्टिंग और उन्हें दर्ज में करने में देरी हो सकती थी, लेकिन बाद में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इसे दुरुस्त किया।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों की कम रिपोर्टिंग और कम गिनती की सभी अटकलों को दूर करने के लिए मौतों का मिलान अब भी किया जा रहा है।

मीडिया में आईं कुछ खबरों में अटकलें लगाई गईं है कि 8 राज्यों में मौतों की कम गिनती की गई है । मंत्रालय ने कहा मौतों का केवल अनुमान लगाया जा सकता है और सटीक आंकड़ा कभी पता नहीं चल सकता है।

उसने कहा कि खबरों में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीएसआर) और स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के आंकड़ों को रेखांकित किया गया है जिसमें सभी कारणों से होने वाली मौत की संख्या शामिल है जिस वजह से गलत निष्कर्ष निकाला जा रहा है।

बयान में कहा गया है, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में मजबूत और कानून-आधारित मृत्यु पंजीकरण प्रणाली को देखते हुए, संक्रामक रोग और इसके प्रबंधन के सिद्धांतों के अनुसार कुछ मामलों का हो सकता है पता नहीं चला हो लेकिन मौतों को दर्ज करने में चूकने की संभावना नहीं है।’

मंत्रालय ने कहा, ‘यह मामले की मृत्यु दर में भी देखा जा सकता है, जो 31 दिसंबर 2020 में 1.45 प्रतिशत थी और अप्रैल-मई 2021 में वायरस की दूसरी लहर के दौरान अप्रत्याशित वृद्धि के बाद भी, मामले की मृत्यु दर आज 1.34 प्रतिशत है।’

उसने बताया कि भारत में दैनिक नए मामलों और मौतों की संख्या में ‘नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण’ का अनुसरण किया जाता है, यानी जिले मामलों और मौतों की संख्या के बारे में राज्य सरकारों को जानकारी देते हैं और वे केंद्र सरकार को सूचित करते हैं।

मंत्रालय ने कहा कि मौतों की संख्या में विसंगति या भ्रम से बचने के लिए, मई 2020 की शुरुआत में आईसीएमआर ने ‘भारत में कोविड-19 से संबंधित मौतों को दर्ज करने के लिए निर्देश’ जारी किया था ताकि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से मौतों की सटीक संख्या दर्ज हो सके।

बयान में कहा गया है कि मंत्रालय ने दैनिक आधार पर जिलेवार मामलों और मौतों की निगरानी के लिए एक मजबूत रिपोर्टिंग तंत्र की जरूरत पर नियमित रूप से जोर दिया है। लगातार कम दैनिक मौतों की सूचना देने वाले राज्यों को सलाह दी गई है कि वे अपने आंकड़ों की दोबारा जांच करें।



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