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सौरव सिन्हा

कोरोना के समय में लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बजाय निजी वाहनों में सफर करना ज्यादा सेफ लग रहा है। और यह बात जमीन तक ही सीमित नहीं है, आसमान का भी कुछ ऐसा ही हाल है! वे संपन्न लोग जो कोरोना से पहले कमर्शल एयरलाइंस के फर्स्ट या बिजनेस क्लास में सफर किया करते थे, अब प्लेन चार्टर यानी बुक करके जा रहे हैं। इसमें वे अपने परिवार, मित्रों या बिजनेस पार्टनर्स के साथ सफर कर रहे हैं।

कई लोग ऐसा मजबूरी की वजह से कर रहे हैं क्योंकि कमर्शल ऑप्शन नहीं है, लेकिन एक बड़ा वर्ग सुरक्षा की वजह से चार्टर प्लेन की सेवा ले रहा है। पिछले साल दो महीने के लिए शेड्यूल्ड डोमेस्टिक फ्लाइटें बंद थीं। 25 मई, 2020 को जब फ्लाइटें खुलीं, तो भोपाल के एक परिवार ने निजी हवाई कंपनी का ए320 चार्टर किया, अपनी बेटी और पोतों को भोपाल से दिल्ली भेजने के लिए। वह परिवार कमर्शल फ्लाइट में इन्हें भेजकर कोविड-19 के इन्फेक्शन का जोखिम उठाने को तैयार नहीं था।

मार्च, 2020 तक दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना फैल चुका था। तब से हर दूसरे-तीसरे दिन हवाई सेवा के नियम-कानून बदल जाते हैं। किसी भी देश में केस बढ़ रहे होते हैं, तो वहां से आने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। पिछले मार्च में जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद कर दीं, उस वक्त कई भारतीय विदेश में थे। उन्हें इस रोक पर अमल से पहले देश लौटना था। कमर्शल ऑप्शन न होने की वजह से उन्हें चार्टर प्लेन से लौटना पड़ा। पिछले साल दिसंबर में ब्रिटेन में कोरोना बहुत तेजी फैल रहा था, तब भारत ने वहां से आने वाली उड़ानें रोक दीं। बॉलिवुड के एक बहुत बड़े सितारे का परिवार उस समय लंदन में था। वह परिवार चार्टर प्लेन से मुंबई वापस आया, उस डेडलाइन से पहले, जिसके बाद ब्रिटेन से किसी फ्लाइट को आने की इजाजत नहीं थी।

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एक बड़ी चार्टर कंपनी जेटसेटगो एविएशन की सीईओ कनिका टेकरीवाल ने बताया कि पहले उन्हें रोज 30-40 रिक्वेस्ट बुकिंग के लिए मिलती थीं। इनमें ज्यादातर बिजनेस वालों की होती थीं। कनिका ने बताया कि अब यह संख्या 9-10 गुना बढ़ गई है। इनमें से ज्यादातर कस्टमर नए हैं। बिजनेस के साथ पर्सनल ट्रैवल के लिए भी मांग बढ़ी है। अमीर लोगों को अगर पर्सनल ट्रैवल के लिए कहीं जाना है तो वे पहले चार्टर प्लेन के बारे में सोचते हैं। इधर, एक और तब्दीली दिखी है। बिजनेस के लिए चार्टर प्लेन की मांग कम हुई है। यह बिजनेस मीटिंग के जूम जैसे माध्यमों पर शिफ्ट होने का असर है।

पहले अधिकतर लोग बिजनेस ट्रैवल के लिए प्लेन बुक करते थे। अब ट्रेंड बदल रहा है और इसका असर पर्सनल ट्रैवल सेग्मेंट पर भी पड़ा है। इसके अलावा, जब-जब कोरोना का संक्रमण कम होता है, जो लोग इतने समय से घरों में बंद हैं, वे घूमना पसंद करते हैं। एक तरह का ‘रिवेंज ट्रैवल’ का कल्चर दिख रहा है। कोरोना के कारण घरों में बंद लोग अपने परिवार के साथ घूमने निकल रहे हैं। अमीर लोग खासतौर पर मॉलदीव, रूस, ग्रीस, नीदरलैंड्स और स्विट्जरलैंड घूमने जा रहे हैं। इन लोगों के बीच चार्टर प्लेन की काफी मांग है।

कोरोना की दूसरी लहर के बाद कुछ ही देश हैं, जिन्होंने भारतीयों के अपने यहां आने पर पाबंदी हटाई है। कुछ देशों ने उन लोगों को आने की अनुमति दी है, जिनका पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है। उधर, प्लेन पर चढ़ने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट आज भी जरूरी है। अगर आपने टेस्ट नहीं करवाया है तो आप विदेश जाने वाले किसी हवाई जहाज पर सवार नहीं हो सकते।

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आपको यह भी बताते चलें कि चार्टर प्लेन पर अमीर लोग कितना पैसा खर्च कर रहे हैं। अगर कोई दिल्ली या मुंबई से दुबई जाने के लिए निजी हवाई जहाज बुक करता है तो उसे इसके लिए 37 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मुंबई-लंदन-मुंबई के लिए यह खर्च 40 लाख और बेंगलुरु-सिंगापुर-बेंगलुरु के लिए 45 लाख रुपये है। यह खर्च प्लेन के साइज और आप उसे कितने वक्त के लिए बुक कर रहे हैं, इस पर भी निर्भर करता है। चार्टर प्लेन की बुकिंग शुरू होती है 80 हजार रुपये प्रतिघंटा से 8 सीटर टर्बोप्रॉप के लिए और यह 5-6 लाख रुपये प्रति घंटा 16 सीटर जहाज के लिए जाती है। इसके अलावा और भी चार्जेज होते हैं, जैसे कि एयरपोर्ट चार्ज, लैंडिंग और ओवरफ्लाइंग चार्ज आदि।

दिल्ली एयरपोर्ट ने पिछले सितंबर में एक अलग जनरल एविएशन टर्मिनल खोला। हालांकि वह खुला तो कोरोना के टाइम में ही था, लेकिन पहली लहर के बाद। उस समय यह टर्मिनल रोज की करीब 20 फ्लाइट्स हैंडल करता था। दूसरी लहर में यह संख्या दोगुनी हो गई। एक तो एयर एंबुलेंसेस का आना-जाना बहुत हुआ और उसके अलावा कई ऐसे अमीर भारतीय थे, जो भारत से दूसरे देशों में जाना चाहते थे अपने और अपने परिवार की सेफ्टी के लिए। अब जब दूसरी लहर थम रही है और नए मरीजों की संख्या कम हो रही है तो वही ट्रेंड दिख रहा है, जो पहली लहर के बाद दिखा था। यानी घूमने-फिरने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है।

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आपको याद होगा कि पहली लहर के बाद कई फिल्मी सितारे मॉलदीव के फोटो खींचकर अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये शेयर कर रहे थे। इस साल अप्रैल में जब दूसरी लहर आई तो 30 देशों के साथ मॉलदीव ने भी भारतीयों के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दीं। अब धीरे-धीरे भारतीयों के लिए ऐसे विदेशी ठिकाने खुल रहे हैं।

कनिका कहती हैं कि लोगों में घूमने की एक बेताबी दिख रही है। करीब 60 फीसदी लोग अपने घरों से निकलना चाहते हैं। हो सकता है कि आप भी उनमें से एक हों। अगर आप घर से काम कर रहे हैं तो उसे किसी टूरिस्ट डेस्टिनेशन से भी अंजाम दिया जा सकता है। अगर आप देश के रईसों में शामिल हैं तो बुक करिए अपना ‘उड़नखटोला’ और निकल जाइए दूर देश को।

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं





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