काबुल से दिल्ली डिपोर्ट की गईं महिला अफगान सांसद का मामला आज सर्वदलीय बैठक में भी खूब उछला। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैठक के बारे में बताया कि कुल 31 राजनीतिक दलों के 37 नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। पूरी बैठक में अफगानिस्तान के मामले में विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में अफगान महिला सांसद रंगिना कारगर के डिपोर्ट वाली बात भी कही गई। बैठक के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमने एक महिला अफगान राजनयिक का मुद्दा उठाया जिन्हें डिपोर्ट कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह एक गलती थी, ऐसा दोबारा नहीं होगा और वो इस मामले को देखेंगे।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां की स्थितियां पूरी तरह से बदल चुकी हैं। लोग वहां से भाग रहे हैं और जो रुके हैं वो खौफ के साए में हर पल बिता रहे हैं। उनको हर पल एक डर बना रहता है कि पता नहीं कब उनको मार दिया जाए। इसी बीच अफगान के रहने वाले लोग भारत की ओर आस लगाए देख रहे हैं। भारत लगातार वहां से अपने लोगों को निकाल भी रहा है उसमें कई अफगानी भी हैं मगर एक महिला सांसद ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत जैसे देश से हम ऐसी उम्मीदें नहीं कर सकते।
20 अगस्त को किया गया डिपोर्टअफगानिस्तान की फरयाब प्रांत का प्रतिनिधित्व करने वाली वोलेसी जिरगा की सदस्य रंगिना कारगर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि वह 20 अगस्त की शुरुआत में इस्तांबुल से फ्लाई दुबई फ्लाइट से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं थी। रंगिना कारगर के पास एक राजनयिक/आधिकारिक पासपोर्ट था जो भारत के साथ पारस्परिक व्यवस्था के तहत वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने कहा इससे पहले भी वह इसी पासपोर्ट से कई बार भारत का दौरा कर चुकी हैं लेकिन इससे पहले कभी उनके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।
मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ- सांसदउन्होंने बताया कि इमीग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया और प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया। इसके बाद अधिकारियों ने उसने कहा कि उन्हें इसको लेकर अपने सीनियर से बात करनी होगी। उन्हें दो घंटे इंतजार कराया गया और उसके बाद, उन्हें उसी एयरलाइन से दुबई के रास्ते इस्तांबुल वापस भेज दिया गया। महिला सांसद ने कहा कि उन्होंने मुझे डिपोर्ट कर दिया, मेरे साथ एक अपराधी जैसा व्यवहार किया गया। मुझे दुबई में मेरा पासपोर्ट नहीं दिया गया। यह मुझे सीधे इस्तांबुल में वापस दिया गया।
भारत से उम्मीदेंमहिला सासंद ने कहा कि उन्होंने मेरे साथ जो किया वह अच्छा नहीं था। काबुल में स्थिति बदल गई है और मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार अफगान महिलाओं की मदद करेगी। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने डिपोर्ट के लिए कोई कारण नहीं बताया गया था, लेकिन यह शायद काबुल में बदली हुई राजनीतिक स्थिति और शायद सुरक्षा से संबंधित था”। वहीं विदेश मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि उन्हें कारगर से जुड़ी घटना की जानकारी नहीं थी।
दो सांसद पहुंचे थे भारतमहिला सांसद के डिपोर्ट होने के दो दिन बाद भारत ने दो अफगान सिख सांसदों नरिंदर सिंह खालसा और अनारकली कौर होनारयार का स्वागत किया था। होनारयार पहली सिख महिला हैं जिन्होंने अफगान संसद में प्रवेश किया है। कारगर के विपरीत ये दोनों भारत की हवाई सेवा से दिल्ली् पर पहुंचे थे। कारगर ने कहा कि वे उड़ानें भारतीयों और अफगान भारतीयों के लिए थीं अफगानों के लिए नहीं।
भारत हमारा दोस्त- सांसदकारगर ने कहा कि मैंने गांधीजी के भारत से इसकी कभी उम्मीद नहीं की थी। हम हमेशा भारत के दोस्त हैं, भारत के साथ हमारे सामरिक संबंध हैं और भारत के साथ हमारे ऐतिहासिक संबंध हैं। लेकिन इस स्थिति में उन्होंने एक महिला और एक सांसद के साथ ऐसा व्यवहार किया है। उन्होंने हवाई अड्डे पर मुझसे कहा, ‘क्षमा करें, हम आपके लिए कुछ नहीं कर सकते।